काव्य जगत....
हर प्रयास पर उमड़ता विश्वास ,
हर बात पर जीत के जज्बात ;
मन के उन्मुक्त भावों को .....!!!
पन्नों पर उढेला जाता है ....!!!
शब्दों की नाजुक कलियों पर फूलों सा खिलाया जाता है ...!!!
दुनिया को मधु पिलाया जाता है ...!!!
मिटती लहरों की निशानियों को रेत पर उभरी कहानियों को ;
शब्दों में में उतरा जाता है ...!!! देवों पर चढ़ाया जाता है .....!!! चमकते हीरों में सवारा जाता है .....!!! यहाँ सूरज को भी पानी में डुबोया जाता है ....!!!
yeh kavya jagat ki hi mehrbani h ki aaj hum dayra jaise page ka anand le rahe h ,,,,,,
ReplyDeletethanx to god for making nature who brings thought on poets mind .... and this is also a awsm poem
अंगारों की क्या बात करे
ReplyDeleteपत्थर के टुकड़ों को
चमकते हीरों में सवारा जाता है .....!!!very nice.
अंगारों की क्या बात करे
ReplyDeleteपत्थर के टुकड़ों को
चमकते हीरों में सवारा जाता है .....!!! Bahut khoob.
शब्दों की नाजुक कलियों पर भवरों सा मंडरा मंडरा कर फूलों सा खिलाया जाता है ...!!!
ReplyDeletewah.....bahot sunder.
सुन्दर अभिव्यक्ति के लिये बधाई स्वीकृत करें।
ReplyDeletebhut badiya.......
ReplyDeleteमधुर्य गुण की ये रचना मन को छू गई ..!
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पे आपका हार्दिक स्वागत है !
आह काव्य जगत को कितनी सुंदरता से परिभाषित किया है. आनंद आ गया पढकर.
ReplyDeleteकाव्य जगत की
ReplyDeleteबात निराली
कितनी रश्मियाँ रच दे एक कलम
सुनहरी स्याही वाली
सुन्दर अभिव्यक्ति!
काव्य जगत पर बहुत सुन्दर प्रस्तुति ... मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आभार
ReplyDeleteआपका पोस्ट पर आना बहुत ही अच्छा लगा मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteअच्छी कविता भाई बधाई और शुभकामनाएं |
ReplyDeleteये काव्य जगत है प्यारे ,
ReplyDeleteयहाँ सूरज को भी पानी में डुबोया जाता है ....!!!
एक सुन्दर कविता प्रस्तुति के लिए आभार...मनभावन हार्दिक शुभकामनायें
मधुबन में बड़े जतन से
ReplyDeleteएक एक फूल इकट्टा कर
दुनिया को मधु पिलाया जाता है ...!!!
sunder bhav
rachana
dayra apne boundaries ko badate ja raha hai........... ek din ye asman ki hights ko chu lega ........i wish
ReplyDeleteकविता का दायरा सुन्दरता से बताया है ...!!
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 22 -12 - 2011 को यहाँ भी है
ReplyDelete...नयी पुरानी हलचल में आज... क्या समझे ? नहीं समझे ? बुद्धू कहीं के ...!!
ये काव्य जगत है प्यारे ,
ReplyDeleteयहाँ सूरज को भी पानी में डुबोया जाता है ....!!!वाह वाह वाह …………बेहतरीन अभिव्यक्ति।
Wah...bahut khub sir...
ReplyDeleteblog template bahut pasand aaya...kafi prakritik hai:-)
यहाँ सूरज को भी पानी में डुबोया जाता है ....!!!
ReplyDeleteक्या बात है.... बहुत सुन्दर
सादर
वाह ...बहुत ही बढि़या।
ReplyDeleteये काव्य जगत है प्यारे ,
ReplyDeleteयहाँ सूरज को भी पानी में डुबोया जाता है ....!!!
vah ....kya kahun ....bs ak vaky.... kya khoob likha hai ashok ji apne.
bahut khoob
ReplyDeleteयहां सूरज को भी पानी में डुबोया जाता है --वाह! क्या बात है अशोक जी -
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