The messenger of peace
कुछ लोग आते है,
न सहते है न वो सताते है;रोते को हंसाते है लड़ना सिखाते है;!
बस जागते है और सबको जागाते है !
नींद भगाते है ..!
एसा ही कोई आया था !
हर दिल में गहराया है !
अब तो हमारे खून में उतर गया है वो;
जो थी सड़ी हुई जड़े कुतर गया है वो;
अधिकारों से पहले कर्तव्यों की बात कर गया वो;
छोटे छोटे पर फुर्तीले कदमो से चलता था !
साथ साथ चलना सिखा गया वो ;
न धर्मं न धार्मिक श्री कृष्ण के वचन दोहरा गया वो ;
बड़े बड़े जनरलों को डरा गया वो ,
एक समय की बात है दक्षिण अफ्रीका की रात है !
उस रात रेल के डिब्बे में अन्याय से भिड़ गया वो ;
सत्य के साथ आग्रह एसा था की हर दिल में रह गया वो ;
सच की तलवार लेकर वीरों सा लड़ता था वो ;
निडर योद्धा अहिंसा की पूजा करता था वो ;
धीमी सी आवाज में सियासते उखाड़ गया वो ;
बिना कुल्हाड़ी उठाये बबूलों का जंगल उजाड़ गया वो ;
कहते है उसने ह्रदय के खून से सीचा है इस गुलशन को ;
अपनी मजबूत बाँहों में भिचा है इस गुलशन को ;
कहते है उसे लोग बापू , शांति और अहिंसा का पुजारी ;
हर उपाधि को परिभाषित कर गया वो ;
लोग आते है , दिलों में बस जाते है , जीना सिखा जाते है !!
बहुत सुंदर...
ReplyDeleteसार्थक रचना...
उस सत्याग्रही को नमन...
सार्थक व सटीक अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteअहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी जी के दिखाए पथ पर देश की जनता चले...यही मंगल कामना!...सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteबापू को नमन ..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सार्थक अभिव्यक्ति अच्छी रचना,..
ReplyDeleteNEW POST --26 जनवरी आया है....
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteइतनी प्यारी अभिव्यक्ति, किसी भी महान व्यक्ति को और महान बनाती है उसके गुणों को ऐसी रचनाये ही व्यक्त कर सकती है,दुनिया के सामने रख सकती है
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ReplyDeleteकहते है उसने ह्रदय के खून से सीचा है इस गुलशन को ;
ReplyDeleteअपनी मजबूत बाँहों में भिचा है इस गुलशन को ;
पढ़ रहा हूँ ...समझ रहा हूँ ..सोच रहा हूँ
गहन ...मर्मस्पर्शी ...
आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
गाँधी जी को समर्पित एवं सच्ची श्रद्धांजली देती हुई अच्छी रचना।
ReplyDeleteकृपया इसे भी पढ़े-
क्या यह गणतंत्र है
क्या यही गणतंत्र है
अब तो हमारे खून में उतर गया;
ReplyDeleteवो जो थी सड़ी हुई जड़े कुतर गया वो---वह वह भाई क्या बात है बहुत सुन्दर .
बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
ReplyDeleteबसंत पचंमी की शुभकामनाएँ।
भावपूर्ण सुंदर रचना, वाह !!!!!!!!!!!!!
ReplyDeletegandhi ji ke upar likhi kavita bahut sundar unki khoobiyon ka aapne baakhoobi varnan kiya hai ...vaah
ReplyDeleteNhi yaar.....I m not agree......
ReplyDeleteबापू पर लिखी आपकी ये रचना अप्रतिम है...उन पर बहुत कुछ कहा और लिखा गया है लेकिन आपने अपने अलग और अनूठे ढंग से उनपर लिखा है...मेरी बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज
बहुत अच्छा लिखा है बापू के बारे में,पढकर अच्छा लगा। धन्यवाद।
ReplyDeletebhai birla ji bahut hi sundar prastuti .....bapu ki yad taja karti hui yah prvishti bilkul anoothi hai.
ReplyDeleteइस सार्थक प्रविष्टि के लिए बधाई स्वीकार करें.
ReplyDeleteमैं आपके ब्लॉग को फालो कर चुका हूँ, अपेक्षा करता हूँ कि आप मेरे ब्लॉग"MERI KAVITAYEN" पर पधारकर मुझे भी अपना स्नेह प्रदान करेंगे .
बड़े बड़े जनरलो को डरा गया वो --बहुत खूब अशोक जी
ReplyDeleteBahut Sundar Bhav...........
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