हर बार पिघलती है !
हर रात ,हर सुबह पिघलती है !
हर पल , समय की सुई ;
रेत सी फिसलती है !
सोचे हम अगर ,
मन से विचारों की
एक नदी निकलती है !
कुछ याद के कतरे है !
कुछ जख्म दुखते से
कुछ खुशियों के है पल
जो पल में गए निकल
हर बार पिघलती है !
उलझे उलझे से
और जवाब बिखरते से
सिमटे है कुछ राज
करना है आगाज
कुछ खोया है मैंने
कुछ पाया भी तो है !
हर बार पिघलती है !
हर पल , समय की सुई
रेत सी फिसलती है ...!!!!!!
कुछ खोया है मैंने
ReplyDeleteकुछ पाया भी तो है !
हर बार पिघलती है !
हर पल , समय की सुई
रेट सी फिसलती है ...!
बहुत ही बढि़या ..भाव संयोजन
बहुत ही सटीक भाव..बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteशुक्रिया ..इतना उम्दा लिखने के लिए !!
bilkul sahi kaha samay ki sui ret si fisalti hai...aur khona pana toh is definitely part of life's flow..nice poem..loved it :)u hv done a gr8 job dis time too...
ReplyDeletesamay ki sui ret si fisalti h but har bar ek naya mukam ya nayi sikh bhi deti h ( awsmmmm poem) thanx...... for givingg
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteअच्छी भावाव्यक्ति...
-एक टाइपिंग की गलती है आप ठीक कर ले..रेत की जगह रेट टाईप हुआ है.
सादर.
सुन्दर प्रस्तुति .....
ReplyDeletesarthak post hae .
ReplyDeleteकुछ याद के कतरे है !
ReplyDeleteकुछ जख्म दुखते से
कुछ खुशियों के है पल
जो पल में गए निकल
हर बार पिघलती है !... bahut badhiyaa
क्या खोया क्या पाया अब तक
ReplyDeleteकिया हिसाब समय का जब तक
जीवन बीत गया ...अच्छी रचना है
बेहद ख़ूबसूरत एवं उम्दा रचना ! बधाई !
ReplyDeletebahut sundar...!
ReplyDeletevaah bahut umda likha hai.aapki mere blog par tippani ke madhyam se aapka itne achche blog ka pata chala.bahut abhar aapka.milte rahenge.follow kar rahi hoon.
ReplyDeleteहर पल , समय की सुई
ReplyDeleteरेत सी फिसलती है ...
सच है की समय नहीं रुकता पर लम्हे पकडे जा सकते अहिं जो हमेशा साथ रहते हैं ... फिसलते नहीं ...
waqt ki raftaar samjhna hi zindagi hai...sundar rachna...mere blog pe padharne ke liye dhanyawaad....marg-darshan karte rahe...
ReplyDeletevery nice :)
ReplyDeleteWelcome to मिश्री की डली ज़िंदगी हो चली
हर पल , समय की सुई ;
ReplyDeleteरेत सी फिसलती है........पहली बार ब्लॉग पर आना हुआ ,अच्छा ब्लॉग है.... फोलो कर रही हूँ,उम्मीद है आप की आने वाली पोस्ट मुझे यहाँ फिर खीच लाएगी......
क्या कहूँ--हर पल समय की सुई रेत
ReplyDeleteसी फिसलती है
मेरे जीवन की निराशा को आशा में बदला है आपके ब्लॉग ने --आभार व्यक्त करता हू.
क्या खोया क्या पाया सोचे अगर हम ,
ReplyDeleteमन से विचारों की एक् नदी सी निकलती है
अलग अंदाज................
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