घर द्वार सजाती वो ,
Thursday, 22 December 2011
काश ! a Question ?
घर द्वार सजाती वो ,
Location:
Indore, Madhya Pradesh, India
Friday, 9 December 2011
काव्य जगत....
Labels:
imagination,
kavita,
poem
Location:
Indore, Madhya Pradesh, India
Saturday, 12 November 2011
आरजू ...wish !
मेरी किस्मत पे तेरा ही साया रहे माँ ;
तेरे क़दमों पे सर तुझपे कुरबा ये ......जान ;
तेरी बातों में मेरी ही यादें रहे माँ ;
बस तेरी ममता की लाली मेरे खून में रहे माँ ;
तुझपे मिटने का जज्बा भी मुझमे रहे माँ ;
पर काटों सी किस्मत तो मेरी.. रहे माँ ;
..............तेरे आँचल में थोड़ी जगह देना माँ !!!!!!!!!
Wednesday, 12 October 2011
पल .....Time of consciousness
महसूस करता हु में रात की ठंडी सांसों को,
.........जैसे अब ये कमजोर पड़ने लगी है !
सुनता हूँ मै सन्नाटों मै गूंजती आवाजे ;
अब ये बर्फ सी जमने लगी है !
देखता हु............ मै काले बदल को पिघलते हुएं ;
सारी धुन्धलाहत ओस की बूंदों में उतरने लगी है ;
हल्की सी जय ध्वनी आती है..... मेरे कानों तक ;मेरे कदमो की गति अब बदने लगी है !
जैसे किसी चोटी से मंजिल का नजारा हो ;
...........जैसे स्वर्ग को धरती ने पुकारा हो ;
जैसे उल्लुओ के आगे अँधेरा छाने लगा ;
जैसे भोर की राह में पपीहा गाने लगा ;
हर लम्हे की आहत को हर पदचाप को सुन सकता हु मै ,
उसके मिलने की ख़ुशी में....... हर गम भूल सकता हु मै,
लगता है........ जैसे अब पंछी चाह्चाहयेगे ;
जैसे कोमल लतिकाए अंगड़ाई लेने लगी है !
पर अँधेरा अभी छठा भी नहीं है,रास्ता अभी कटा भी नहीं है !
पूरब से आती हवाए , सूरज का सन्देश लायी है
ठंडी पवन है पर इसने तो मुझने गर्मी जगाई है !
लगता है जैसे सबेरा होने को है........!
सबेरा होने को है....!
Location:
Indore, Madhya Pradesh, India
Tuesday, 27 September 2011
आशा n Effusion.......
सुनसान पगडंडियों पर वो चलता जा रहा था !
आकाश तो है इस समंदर के ऊपर;
होसलों से जंग जीतते है मालूम है उसे ;
पूरब की और से क्या देखता है वो ;
एक बार फिर सूरज उगा आ रहा था !
आशा जगी उठा , कमर कसी फिर ;
पोछा आँखों से नीर, भरे तरकश में तीर ;
निशाना लक्ष्य पर वो साधे जा रहा था !
चलना ही जिंदगी है वो गाए जा रहा था !
आँधियों में भी दिए जलाये जा रहा था !
जीत जायेगे हम गुनगुनाये जा रहा था !
बारिश की बूंदों में भी वो जलता जा रहा था !
मालूम नहीं वो मंजिल कितने दूर है!
आकाश तो है इस समंदर के ऊपर;
पता नहीं जमी किस छोर है !
उम्मीदों का दिया आशाओ से जिया ;
धेर्य का तेल अब घटता जा रहा था !
होसलों से जंग जीतते है मालूम है उसे ;
पर होसला ही होसला खोये जा रहा था !
उड़ने की कला तो आती थी उसे ;
पर स्वप्न लोक में कोहरा छाए जा रहा था !
चलते चलते गिरता फिर उठता वो ;
लड़खड़ाते पैर पर वो चलता जा रहा था! पूरब की और से क्या देखता है वो ;
एक बार फिर सूरज उगा आ रहा था !
आशा जगी उठा , कमर कसी फिर ;
पोछा आँखों से नीर, भरे तरकश में तीर ;
निशाना लक्ष्य पर वो साधे जा रहा था !
चलना ही जिंदगी है वो गाए जा रहा था !
हार को हराने की योजना बनाये जा रहा था !
कर्म की धरती पर मेहनत के बीज बिछाये जा रहा था !
आँधियों में भी दिए जलाये जा रहा था !
जीत जायेगे हम गुनगुनाये जा रहा था !
ये कोई कविता नहीं , ये एक सच्चाई है ! जिसे मैंने जिया है , जैसे उम्हड़ता सा ज्वार सागर के शांत तन पर उत्पात मचाता है ! वैसे ही कोई समय का क्षण मेरे मन को द्रवित कर गया था !.........पर फिर वो कभी नहीं आया !!!!! कभी नहीं ...
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25th NOV 2010 0348hr
Location:
Indore, Madhya Pradesh, India
Monday, 19 September 2011
"मिट्टी की खुशबू " SPIRIT
ये एक पंछी की कहानी है ,
उसे चाहिए था बसेरा ;
डालना था कही डेरा ...फ्रिर्र्र ...
सोया ना जागा दिन भर वो भागा;
खोया ना पाया कैसा अभागा ;
घर बनाया भी तो जहाज पर ;
ना मालूम था उसे ये रहता नहीं किनारों पर ,
आज रात आराम फ़रमाया ,
स्वप्न लोक में सेर कर आया
जब जागा , होश आया तो ,
अपने को सागर की गोदी में पाया ;
ना मिट्टी थी ना था पेड़ो का साया ;
ऊपर सूरज का तेज, निचे समंदर की काली काया ;
बिना दीवारों के पिंजरे में अपने को पाया
वतन का मतलब अब उसे समझ में आया ;
करना तो थी उसे अब सेर ;
अपना ना था कोई यहाँ थे सब गैर ;
वो बारिश की रातें वो नीम की छाया ;
धान के खेतों से कैसे दाना चुग आया ;
वो कलरव मस्ताना वो चों चो के झगडे ;
यादों के दौर में कुछ दिन है गुजरे ;
अब जहाज लौटने लगा
लौटते हुए जहाज से जमी दिखाई दी ;
ख़ुशी इतनी थी की दुःख में कमी दिखाई दी ;
उड़ने लगा वो तेज ,
स्वदेश की और बड़ने लगा वो
ओ जंगल सभाएं और चकवे की कहानी;
ओ ऊँची उड़ाने ओ झरने का पानी;
अब तो कुछ अलग ही स्वाद था !
उन खट्टे अंगूरों का .....मिल गया था उसको
वही मिट्टी की खुशबू वही पेड़ो का साया ;
वतन का मतलब उसे समझ में आया !
आखिर आ ही गया ना .....हाँ हाँ हाँ
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Indore, Madhya Pradesh, India
Tuesday, 6 September 2011
कुछ फूल :THE DEFENDER
बारिश सर्दी धुप कभी ,
गर्मी आंधी भूख कभी ;
काली रातें चुप कभी ,
खुशिया गम और दुःख कभी ;
सीमाओ की रखवाली पर ,
देश की खुशहाली पर ,
अरमान कभी ;
और जान कभी;
मातृभूमि के चरणों में ,
कुछ पुष्प चढाते रहते है !
रंगीन कभी संगीन कभी;
बन्दुक से निकले आग कभी;
एक से लड़ते लाख कभी;
जीत कभी और हार कभी;
बलिदान कभी सम्मान कभी;
कभी शहीद कहलाते है !
कभी पिता के सिने को,
गर्व से भर जाते है;
कभी माँ की गोदी,
सुनी कर जाते है!
आसमानों से उचे ख्वाब कभी ;
बलिदान कभी सम्मान कभी ;
कभी शहीद कहलाते है !
नन्हे बेटे की आँखों से ;
वो विश्वविजय बन जाते है !
इतिहास कभी विश्वास कभी ;
फिर ये प्रकट हो जाते है !
मातृभूमि के चरणों में ;
कुछ पुष्प चढाते रहते है !
हमको जीवन जीना सिखा जाते है ..............!!!
गर्मी आंधी भूख कभी ;
काली रातें चुप कभी ,
खुशिया गम और दुःख कभी ;
सीमाओ की रखवाली पर ,
देश की खुशहाली पर ,
अरमान कभी ;
और जान कभी;
मातृभूमि के चरणों में ,
कुछ पुष्प चढाते रहते है !
रंगीन कभी संगीन कभी;
आन बचाने की खातिर,
सीनों पर गोली खाते है!बन्दुक से निकले आग कभी;
एक से लड़ते लाख कभी;
जीत कभी और हार कभी;
बलिदान कभी सम्मान कभी;
कभी शहीद कहलाते है !
एक बात कभी फरियाद कभी,
विजय का उल्लास कभी ;
फिर जन्मभूमि की सेवा में,
आना वो चाहते है ..!
कभी पिता के सिने को,
गर्व से भर जाते है;
कभी माँ की गोदी,
सुनी कर जाते है!
आसमानों से उचे ख्वाब कभी ;
बलिदान कभी सम्मान कभी ;
कभी शहीद कहलाते है !
नन्हे बेटे की आँखों से ;
वो विश्वविजय बन जाते है !
इतिहास कभी विश्वास कभी ;
फिर ये प्रकट हो जाते है !
मातृभूमि के चरणों में ;
कुछ पुष्प चढाते रहते है !
हमको जीवन जीना सिखा जाते है ..............!!!
Location:
Indore, Madhya Pradesh, India
Thursday, 1 September 2011
पेड़ बालक : MEMBER OF THE FOREST FAMILY
"VANDEVII" Goddess of forest. and The Forest, who gives us
F- Food, O- Oxygen(O2) , R - Rains, E- Environment protection
S-helps in Soil conservation , T- Timber.
That's why we should protect the protectors!
वनदेवी हम पेड़ बालक कहते एक कहानी है ;
ये कोई मनोरंजन नही जीवन की र'वानी है ;
F- Food, O- Oxygen(O2) , R - Rains, E- Environment protection
S-helps in Soil conservation , T- Timber.
That's why we should protect the protectors!
वनदेवी हम पेड़ बालक कहते एक कहानी है ;
ये कोई मनोरंजन नही जीवन की र'वानी है ;
शक्तिशाली विधाता ने हमे बीजो मे बसाया है ;
पानी मिट्टी वायू मिलते जग मे आना सिखाया है !धरती माँ के आँचल मे हमने जीवन सवारा है ;
प्राण वायू देने का अधीकार हमने हि स्वीकारा है ;
मानव से पहले धरती पर ईश ने हमको उतारा है;
वनदेवी हम पेड़ बालक परोपकार धर्म हमारा है !
वन उपवन गीरि ओर गाँवो को हमने श्रंगारा है ;
सभ्यता की दोड़ मै भी मानव कर्जदार बेचारा है ;
वनदेवी मेँ कोन हुँ अबतक बस ये बतलाया है;
अब सुनो मेरी धरती माँ ने क्या क्या मुझको सिखलाया है !
फल फुल ओर वायु देना धर्म मुझे समझाया है ;
मेने पत्थर खाकर भी इसको सदा निभाया है ;
सभ्य होते मानव ने घर बनाया नाव रची;
मेने हर दम अपना तन देकर भी उसका साथ
निभाया है !
औषधी ओर सुगंध से मेने इस जग को हंसाया है;
पोधे बनकर खेतो मे मेने अन्न उगाया है ;
भुखे पेट जब कोई आया तो फल का भोज कराया है !
अपनी लालच कि खातिर उसने मुझपर हथीयार
चलाया है;
चिख चिख कर मेँ रोया वनदेवी वो मेरी चिखे ना
सुन पाया है ;
मेरी धरती माँ ने भी फिर उसको मजा चखाया है;
बाढ़ भुकंप ओर जलजलौ से मेने उसे बचाया था!
बादलो को भी मेने निमंत्रन भिजवाया था!
अब मे लाचार हुँ,वनदेवी अपने अपनो से परेशान हूँ!
क्या क्या सुनाऊ वनदेवी मेरी आँखे भर आई;
मेरे भाई मानव ने क्या क्या मुझपर बिताई है!
मानव को अब भी, मै सही मार्ग दिखलाता हूँ!
अब भी उसके लिए इश्वर से गुहार लगता हूँ !
वनदेवी मै पेड़ बालक अपनी व्यथा सुनाता हूँ!
Labels:
dedicated to VANDEVII
Location:
Indore, Madhya Pradesh, India
Saturday, 27 August 2011
आधार ..."THE ROOT OF MY COUNTRY"
सोने के कटोरे में रखा कोहिनूर है गाँव ;
फलो की टोकरी में रखा अंगूर है गाँव ;
आजाद खयालो वाला लंगूर है गाँव ;
मजबूत इरादों वाला मजदूर है गाँव ;
पहली बरसात के बाद मिट्टी की खुशबु है गाँव ;
बसंत के आते ही कोयल की कुह कुह है गाँव ;
गर्मी की रातों में तरबूज और दिन में खरबूज है;
कच्ची सड़के है पर साफ आकाश है गाँव ;
हरे हरे खेतों में फुला हुआ काश है गाँव ;
पथरीले पर्वतों पर लाल लाल पलाश है गाँव ;
धरती के सारे रंगों की कहानी ;
जीवन के मूल्यों की रवानी है गाँव ;
बड़े बड़े न्यायालयों से आगे चोपाल है गाँव ;
बुजुर्गो की इज्जत और मर्यादा का ख्याल है गाँव ;
प्रकृति की गौद में खेलता बचपन ;
हुक्के की गुदगुदाहट में पचपन है गाँव ;
परंपरा और संसकृति का सार है गाँव ;
सबका पालन करता अन्नदाता है गाँव ;
दादी नानी की कहानिया , माँ का दुलार है गाँव ;
गाँधी के सपनो का सार
भगत के विचारो का आधार है गाँव ;
गायों को दुहता ग्वाला ,बंसी बजाता चरवाहा है गाँव ;
जरा से मैले कपड़ो में , मेहनती मजबूत शरीर है गाँव ;
किसान के दिल में फसलो को देखा कर उमड़ता सा प्यार
इश्वर के उपहारों में प्यारा सा उपहार है गाँव ;
जटिल जिंदगी की थकावट के लिए विश्राम है गाँव ;
लाल लाल पर्वतों पर फुला हुआ काश है गाँव .....
Monday, 22 August 2011
जागती रांतें.......Struggle
जब सूरज भी जा छुप जाये,
चाँद भी ना नजर आये,
तारे आंख चुराए जब,
झींगुर गीत सुनाये जब'
तब साथ तुम्हारे रहने को,
परछाई भी करताये तब;
घनघोर अँधेरा छा जाये,
और कुछ भी नजर ना आये !
घबराना ना कतराना ना ,
उद्घोष विजय के होते है !
काली रातों की गोदी में ,
उजालो के अंकुर सोतें है !
झकझोर उन्हें ललकार उन्हें ,
जाग जाग फटकार उन्हें ,
उठ जाग जाग अब देर न कर ,
सपनो के जाग में सेर न कर ,
जो दिन को सुखद बनाने को ,
रातों की बलि चढाते है !
बलिदानी तो इस जग में ,
देवो से पूजे जाते है !
देख तिमिर की बेला से ,
दीपक कैसे झगड़ रहा ;
देत्यो के दल पर भारी पड़ रहा !
इतिहास नया अब लिखने को ,
भारत माँ पुकार रही ;
इस नए वीर से लड़ने को ,
कठिनाई भी ललकार रही ;
उठ जाग जाग अब देर न कर ,
सपनो के जाग ना सेर न कर........
Sunday, 21 August 2011
मिट्टी.....THE SOIL OF THE MOTHERLAND
इस मिट्टी मे पैदा हुआ ,
सबकुछ मिट्टी पर कुर्बान है!
इस मिट्टी में पला बढ़ा और खेला ,
ये मिट्टी मेरी शान है!
इस मिट्टी पर अभिमान है!
मिट्टी की खातिर जीता हूँ !
भगवान है ये ईमान है मिट्टी,
मिट्टी का सजदा करता हूँ !
गुरुबानी गीता और कुरान ,
मिट्टी के गुण ही गाते है !
मिट्टी की पूजा करते है सब ,
इसका दिया ही खाते है!.......
काम आऊ इस मिट्टी के आवाज लगाये जब मिट्टी,
जान तो क्या इमां भी देंगे ,
आवाज लगाये जब मिट्टी,
जब मुझको पुकारे जब मिट्टी!.......
आन शान ईमान है मिट्टी ,
मिट्टी मेरी जान है!
मिट्टी की खातिर जीता हूँ !
मिट्टी मेरा अभिमान है!.....
मेरी मिट्टी से भी खुशबु,
मिट्टी की आये बस ,
वक़्त पड़े तो काम आ जाऊ,
उपकार घनेरे मिट्टी के !
मेरे शांझ सवेरे मिट्टी के!
गगरी मिट्टी, चूल्हा मिट्टी,
रोटी कपडा मकान है मिट्टी,
हल भी मिट्टी बैल भी मिट्टी,
रायफल तीर तलवार है मिट्टी,
जवान भी मिट्टी, किसान भी मिट्टी,
मंदिर मिट्टी, मद्जित मिट्टी,
इश्वर अल्लाह ,भगवन है मिट्टी,
जन भी मिट्टी, गन भी मिट्टी,
जन्मा मरण जीवन है मिटटी ,!........
मिट्टी की पूजा करता हूँ !
मिट्टी की खातिर जीता हूँ !
मिट्टी मेरी शान है!
मिट्टी मेरा अभिमान है!.....
मिट्टी की पूजा करता हूँ !
मिट्टी की खातिर जीता हूँ !
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