उसके टूटने से बिखरने तक ,
रूठने से मुकरने तक ,
देखा है मेने हर पल को !
पर सुना नहीं क्या कहा उसने ,
कई राते जाग कर काट ली !
कई बातें खुद से बाँट ली !
अंजान अब तक क्या बातें हुई ,
मेरे और मेरे बिच ......
पर जो दूर जा चुके है !
लड़खड़ाते कदमो की पहुच से ,
नहीं चाहिए , अब कभी वो दोस्त !
लोगों को लगता है पत्थर के ,
दिल में अरमान नहीं होता !
अब मुझे गुस्सा नहीं आता यार !
उसकी खामोशी से सुबकने तक ,
उसकी बदहाली से भटकने तक ,
देखा है उसकी मनमानियों को ,
पर वो बैमानी नहीं थी !
औ गुजरी हुई रातों के ख़ामोश लम्हों ,
अब वापस मत आना !
जो अँधेरे में भी साथ था !
वो मन का प्रकाश अब भी है !
तेरी इर्ष्या के दाग अब भी है !
तकलीफों में मिला जिंदगी का राज अब भी है !!!
रूठने से मुकरने तक ,
देखा है मेने हर पल को !
पर सुना नहीं क्या कहा उसने ,
कई राते जाग कर काट ली !
कई बातें खुद से बाँट ली !
अंजान अब तक क्या बातें हुई ,
मेरे और मेरे बिच ......
पर जो दूर जा चुके है !
लड़खड़ाते कदमो की पहुच से ,
नहीं चाहिए , अब कभी वो दोस्त !
लोगों को लगता है पत्थर के ,
दिल में अरमान नहीं होता !
अब मुझे गुस्सा नहीं आता यार !
उसकी खामोशी से सुबकने तक ,
उसकी बदहाली से भटकने तक ,
देखा है उसकी मनमानियों को ,
पर वो बैमानी नहीं थी !
औ गुजरी हुई रातों के ख़ामोश लम्हों ,
अब वापस मत आना !
जो अँधेरे में भी साथ था !
वो मन का प्रकाश अब भी है !
तेरी इर्ष्या के दाग अब भी है !
तकलीफों में मिला जिंदगी का राज अब भी है !!!
Awsmm.....
ReplyDeleteIsko Pad K Koi b insaan emotional ho jayega..
very nicely written ( dil ko chune wali poem)
really
thank you vandevii very much
ReplyDeleteआपकी कविता बहुत दिनो बाद पढ़ने को मिला । आपकी कविता की मैं सदा ही प्रशंसक रही हुँ । ये भी बहुत ही सुन्दर लगा...विशेषत शेष पंक्ति मन को छु गयी ।
ReplyDeletethank you didi aapne bhi bade din baad darshan diye
Deletewaah kya khub likha he...
ReplyDeletenandkishore bhai aapke protshahan ka natija hai ye sab
Deletedhanyawad
thankyou sir
ReplyDeleteऔ गुजारी हुयी रातो के खामोश लम्हों अब वापस मत आना --बहुत खूब
ReplyDeleteधन्यवाद बिरला जी बहुत दिनों के बाद कुछ पढने को मिला
बहुत सुंदर रचना ,
ReplyDeletetital sundar hai....
ReplyDeleteवाकई में तकलीफों में ही जिंदगी का राज छुपा होता है...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया..
सुंदर रचना.....
ReplyDeleteखामोशी आती है तो बहुत देर तक रहती है ...
ReplyDeleteएहसास लिए गहरी रचना है ...
अंतर्मन के कपाटों पर दस्तक देती मार्मिक प्रस्तुति
ReplyDeleteMarmsparshi rachna ,. Umdaaa!
ReplyDeleteMarmsparshi rachna ,. Umdaaa!
ReplyDeleteवक्त के साथ पत्थर दिल को भी पिघलते देर नहीं लगती ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी रचना
बहुत खूब
ReplyDeleteखामोशी, बहुत ही सुंदर रचना।
ReplyDeleteखामोशी, बहुत ही सुंदर रचना।
ReplyDeletebhut badhiya
ReplyDeleteSelf book publisher delhi