dayra

Friday 27 January 2012

बर्फीली रात में दीपक राग !!

The messenger of peace


कुछ लोग आते है,
न सहते है न वो सताते है;


रोते को हंसाते है लड़ना सिखाते है;!
बस जागते है और सबको जागाते है !
नींद भगाते है ..!


एसा ही कोई आया था !
हर दिल में गहराया है !


अब तो हमारे खून में उतर गया है वो;
जो थी सड़ी हुई जड़े कुतर गया है वो;


अधिकारों से पहले कर्तव्यों की बात कर गया वो;
छोटे छोटे पर फुर्तीले कदमो से चलता था !
साथ साथ चलना सिखा गया वो ;
न धर्मं न धार्मिक श्री कृष्ण के वचन दोहरा गया वो ;

बड़ी विनम्रता से करता था विरोध ,
बड़े बड़े जनरलों को डरा गया वो ,


एक समय की बात है दक्षिण अफ्रीका की रात है !
उस रात रेल के डिब्बे में अन्याय से भिड़ गया वो ;
सत्य के साथ आग्रह एसा था की हर दिल में रह गया वो ;


सच की तलवार लेकर वीरों सा लड़ता था वो ;
निडर योद्धा अहिंसा की पूजा करता था वो ;
धीमी सी आवाज में सियासते उखाड़ गया वो ;
बिना कुल्हाड़ी उठाये बबूलों का जंगल उजाड़ गया वो ;


कहते है उसने ह्रदय के खून से सीचा है इस गुलशन को ;
अपनी मजबूत बाँहों में भिचा है इस गुलशन को ;


कहते है उसे लोग बापू , शांति और अहिंसा का पुजारी ;
हर उपाधि को परिभाषित कर गया वो ;


लोग आते है , दिलों में बस जाते है , जीना सिखा जाते है !!

Saturday 14 January 2012

An Expressed Wish : खबर !


कुछ कदमों का साथ था उसका !!सबसे प्यारा अंदाज था उसका  !!



हे इश्वर! ये गुस्ताखी  ही सही पर क्या मै पूछ  लू !
कोई  मेरा  जो  अब तेरे  आशियाने  में  रहता  है !
मेरे  सपनों  के  सागर  में  बहता  है !
पुछु तो होगी नादानी न पुछु तो बेईमानी लगता है !
वो कैसा है  की खुश तो है ; तुझे  कुछ तो कहता है !



साये में जगत पिता के है,सोच कर मै चैन की नींद लेता हूँ !
वो चमकती आँखें देखना चाहूँ मै आँखें मूंद लेता हूँ !
आये जो पलकों पर उससे पहले ही आशुओं में सपने गुंद लेता हूँ!

हे  खुदा ! उसकी  नजरों  में  ही  रहना ;
वो  अपनों  को  न  पाकर  जरा  मायुश  रहता  है !
अगर  कर  दे  कोई  खता  तो  मुझे  देना  बता
सजा  के   लिए  तेयार  रहता  हूँ !

हे  इश्वर  ये  गुस्ताखी  ही  सही  पर  क्या  मै  पूछ  लू 
वो  है  जरा  नटखट  , कभी  नाहक  नाराज  होता  है !
वो  मुझसे  तो  न  छुपाता  था  कुछ  भी ;
क्या  तेरा   भी  हमराज  होता  है 
उसे  हर  बात  को  मनवाने  की  आदत  है ; रूठ  कर !
क्या  वहा  भी  रूठ  जाता  है !
एक सवाल है वो पूछता है जो   
तुझे उससे प्यार है कितना, बता देना वो कहे जितना 

हे  इश्वर  ये  गुस्ताखी  ही  सही  पर  क्या  मै  पूछ  लू 
वो कैसा  है  की  खुश  तो  है !
वो  तुझे  कुछ  तो  कहता  है !


सुना है तेरी गौद में किसी को किसी की याद नहीं आती है !!
पर उसे कहना तू चुपके से वो मेरे मन से नहीं जाती  है !!

उससे   कहना  मज़े  मे  है  हम ,बस  ज़रा यादें सताती है !!
उसकी दुरी का गम नहीं मुझे ,बस ज़रा आँखे भीग जाती है !!

Monday 9 January 2012

The flow of जिंदगी..!!



हर बार पिघलती है !
हर रात ,हर सुबह पिघलती है !

हर पल , समय की सुई ;
रेत सी फिसलती है !


क्या खोया , क्या पाया ,
सोचे हम अगर ,
मन से विचारों की 
एक नदी निकलती है !

कुछ याद के कतरे है !
कुछ जख्म दुखते से 
कुछ खुशियों के है पल 
जो पल में गए निकल 
हर बार पिघलती है !


उलझे उलझे से 
कुछ सवाल पिघलते से 
और जवाब बिखरते से 

सिमटे है कुछ राज 
करना है आगाज 

कुछ खोया है मैंने 
कुछ पाया भी तो है !
हर बार पिघलती है !

हर पल , समय की सुई 
रेत सी फिसलती है ...!!!!!!

Sunday 1 January 2012

I Am भारतवर्ष !!

मैंने  अपने आँचल में आग सुलगते देंखी है !
अपने बेटो की लाशों को फंदों पे लटकते देंखी है !
आंदोलनों की आंच में हड्डीया चिट्कते देंखी है !
मै  भारत  वर्ष  हूँ !!


देखा है मैंने अपने ही साये को बटते;
अपने बेटों को काटते अपने ही बेटों को कटते देखा है !
हर धर्मं को अपने आँचल ने पाला है मैंने ;
इन्ही धर्मान्धो को मेरी गोद उजाड़ते देखा है !
मै भारतवर्ष हूँ !! 

मंगल पाण्डेय की ललकार, लक्ष्मीबाई की तलवार को देखा है !
मैंने देखा है खुदीराम का मेरी आन पर मिट जाना;
अशफाक का इमान देखा है !
मै भारतवर्ष हूँ !!

देखा है मैंने युनियन जैक को उतरते  
लाल किले की ऊँचाइयों पर तिरंगे को फहरते देखा है !
मैंने राजघाट पर किसी अपने को बिखरते देखा है !
मै  भारतवर्ष  हूँ !!

मैंने तो एक सी जमी दी नदी दी ;
फिर भी जात धर्मो को लड़ते देखा है ....!

संविधान को बनते देखा है !
दबी सहमी आवाज से विरोध का स्वर उभरते देखा है !
याद है, मुझे वो नक्शलवाड़ी का मंजर;फिर से ..
विद्रोह को सुनसान गलियों से गुजरते देखा है !

कुछ नहीं छुपा है मुझसे सफ़ेद कुरते वालो ;
दुधिया सफेदी पर अनदेखे दागों को देखा है !
मै  भारतवर्ष  हूँ !!

गौदमो में भरे आनाज को नेताओ के राज को ;
मेने बच्चो की भूख और भूखो की लाश को देखा है !

काली रात को गुजरते सुबह को सवारते देखा है !
मैंने चन्द्रयान को आकाश की ऊंचाई को छुते ;
और ब्रमोश से आकाश को भय खाते देखा है !
तकनिकी में मेरे बच्चो के सामने ;
दुनिया को झुकते देखा है !
मै  भारतवर्ष  हूँ !!

देखा है मेरे बच्चो को मेरी रक्षा में लड़ते हुए ;
उनके ही कोफिनो पर खाई दलाली को देखा है ! 
देखा है चारा अनाज और चावल खाते हुए ;
बोफोर्स और तकनिकी को चबाते देखा है ....!

मै  भारतवर्ष  हूँ !  
मैंने अर्जुन का बाण ,अशोक का मान
और अकबर का ज्ञान देखा है !
श्री कृष्ण का प्रबंधन चाणक्य का गठबंधन ;
पोरश का संघर्षण देखा है ....!

मै  भारतवर्ष  हूँ !!
मै  भारतवर्ष  हूँ !!