dayra

Thursday 22 December 2011

काश ! a Question ?



जब वो आँखें खोलती इस जग मे,
उपवन सा महकती वो ......
अपने नन्हे कदमो से  आँगन को,
पैजनियों की धुन में घोल कर 
संगीतमय बनती वो ,
किसी को बाबा , किसी को भैया ,
किसी को चाचा और दादा बुलाती  वो ,
काश दुनिया मे आती वो ,

हे विधाता !
क्या तू ही लिखता हे किस्मत ?
तो , फिर फैसला क्यों तुच्छ इंसान करे !
वाह, बेटा हो तो राज दुलारा..... बेटी के क्यों प्राण हरे !!!!!!

कभी कभी सोचता हूँ !
काश !??????????
आती वो भी सीता बन कर ,
कभी अनसुइया बन जाती वो 
दोनों कुल सजाती वो 
दुनिया को कुछ सिखलाती वो 

आती वो भी  जीजाबाई बनकर 
कभी पन्ना बन जाती वो ...
देशधर्म पर कैसे मिटना,
अपने बेटों को समझती वो !

महामाया बन जब आती वो..
या फिर यसोदा बन जाती तो
दुनिया को नया मशीहा 
दिलाती वो,


सपने बुनती तारों के आकाश में उड़ आती वो !
कभी तिरंगा लेकर चाँद पर चढ़ जाती वो !
वो भी बनती  सुनीता या कल्पना चावला बन जाती वो !

इंदिरा बनकर जब वो आती, 
सुनहरा भारत सजाती वो, 
या दुर्गा भाभी बन मिट्टी का टिका लगाती वो ! 
अपनी जमीनों पर मिट जाती वो !

काश ...दुनिया में आती वो !
कभी उड़नपरी बन देश का नाम चलती वो !
वो भी खाती सिने पर गोली ,
कमलेश कुमारी बन जाती वो !
आती  वो भी  लक्ष्मी बनकर ,
कभी पद्मिनी बन जाती वो ,
अपनी धरती पर प्राण लुटाती वो ,

जीवन को नया जीवन देती ,
घर द्वार सजाती वो ,

मीठे मीठे पकवानों से ,
मुह मीठा करवाती वो !

वो बेटी भी पिता को बच्चो सा समझाती;
गलती करती , रुठती , मनाती ,फिर गले लग जाती वो !
काश ! जग में आती वो !

अब फिर पूछता हूँ ! हे विधाता !
क्या तू बनाता है सबके भाग्य?

तो इतना महान फैसला ..... 
इस तुच्छ मानव के अधिकार में क्यों ?

Friday 9 December 2011

काव्य जगत....

हर प्रयास पर उमड़ता विश्वास ,
हर बात पर जीत के जज्बात ;


ये खेल है कोमल शब्दों का 
कलमों से खेला जाता है 
मन के उन्मुक्त भावों को .....!!!

कल्पना के प्रवाहों को 
पन्नों पर उढेला जाता है ....!!!

शब्दों की नाजुक कलियों पर 
भवरों सा मंडरा मंडरा कर 
फूलों सा खिलाया जाता है ...!!!

मधुबन में बड़े जतन से 
एक एक फूल इकट्टा कर 
दुनिया को मधु पिलाया जाता है ...!!!

मिटती लहरों की निशानियों को 
रेत पर उभरी कहानियों को ;
शब्दों में में उतरा जाता है ...!!!

सागर के खारे पानी को 
देवों पर चढ़ाया जाता है .....!!!

अंगारों की क्या बात करे 
पत्थर के टुकड़ों को 
चमकते हीरों में सवारा जाता है .....!!!

ये काव्य जगत है प्यारे ,
यहाँ सूरज को भी पानी में डुबोया जाता है ....!!!