dayra

Monday 9 January 2012

The flow of जिंदगी..!!



हर बार पिघलती है !
हर रात ,हर सुबह पिघलती है !

हर पल , समय की सुई ;
रेत सी फिसलती है !


क्या खोया , क्या पाया ,
सोचे हम अगर ,
मन से विचारों की 
एक नदी निकलती है !

कुछ याद के कतरे है !
कुछ जख्म दुखते से 
कुछ खुशियों के है पल 
जो पल में गए निकल 
हर बार पिघलती है !


उलझे उलझे से 
कुछ सवाल पिघलते से 
और जवाब बिखरते से 

सिमटे है कुछ राज 
करना है आगाज 

कुछ खोया है मैंने 
कुछ पाया भी तो है !
हर बार पिघलती है !

हर पल , समय की सुई 
रेत सी फिसलती है ...!!!!!!

19 comments:

  1. कुछ खोया है मैंने
    कुछ पाया भी तो है !
    हर बार पिघलती है !

    हर पल , समय की सुई
    रेट सी फिसलती है ...!

    बहुत ही बढि़या ..भाव संयोजन

    ReplyDelete
  2. बहुत ही सटीक भाव..बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    शुक्रिया ..इतना उम्दा लिखने के लिए !!

    ReplyDelete
  3. bilkul sahi kaha samay ki sui ret si fisalti hai...aur khona pana toh is definitely part of life's flow..nice poem..loved it :)u hv done a gr8 job dis time too...

    ReplyDelete
  4. samay ki sui ret si fisalti h but har bar ek naya mukam ya nayi sikh bhi deti h ( awsmmmm poem) thanx...... for givingg

    ReplyDelete
  5. बहुत बहुत सुन्दर...
    अच्छी भावाव्यक्ति...

    -एक टाइपिंग की गलती है आप ठीक कर ले..रेत की जगह रेट टाईप हुआ है.
    सादर.

    ReplyDelete
  6. कुछ याद के कतरे है !
    कुछ जख्म दुखते से
    कुछ खुशियों के है पल
    जो पल में गए निकल
    हर बार पिघलती है !... bahut badhiyaa

    ReplyDelete
  7. क्या खोया क्या पाया अब तक
    किया हिसाब समय का जब तक
    जीवन बीत गया ...अच्छी रचना है

    ReplyDelete
  8. बेहद ख़ूबसूरत एवं उम्दा रचना ! बधाई !

    ReplyDelete
  9. vaah bahut umda likha hai.aapki mere blog par tippani ke madhyam se aapka itne achche blog ka pata chala.bahut abhar aapka.milte rahenge.follow kar rahi hoon.

    ReplyDelete
  10. हर पल , समय की सुई
    रेत सी फिसलती है ...

    सच है की समय नहीं रुकता पर लम्हे पकडे जा सकते अहिं जो हमेशा साथ रहते हैं ... फिसलते नहीं ...

    ReplyDelete
  11. waqt ki raftaar samjhna hi zindagi hai...sundar rachna...mere blog pe padharne ke liye dhanyawaad....marg-darshan karte rahe...

    ReplyDelete
  12. हर पल , समय की सुई ;
    रेत सी फिसलती है........पहली बार ब्लॉग पर आना हुआ ,अच्छा ब्लॉग है.... फोलो कर रही हूँ,उम्मीद है आप की आने वाली पोस्ट मुझे यहाँ फिर खीच लाएगी......

    ReplyDelete
  13. क्या कहूँ--हर पल समय की सुई रेत
    सी फिसलती है
    मेरे जीवन की निराशा को आशा में बदला है आपके ब्लॉग ने --आभार व्यक्त करता हू.

    ReplyDelete
  14. क्या खोया क्या पाया सोचे अगर हम ,

    मन से विचारों की एक् नदी सी निकलती है

    ReplyDelete
  15. अलग अंदाज................

    ReplyDelete