
सोने के कटोरे में रखा कोहिनूर है गाँव ;
फलो की टोकरी में रखा अंगूर है गाँव ;
आजाद खयालो वाला लंगूर है गाँव ;
मजबूत इरादों वाला मजदूर है गाँव ;
पहली बरसात के बाद मिट्टी की खुशबु है गाँव ;
बसंत के आते ही कोयल की कुह कुह है गाँव ;
गर्मी की रातों में तरबूज और दिन में खरबूज है;
कच्ची सड़के है पर साफ आकाश है गाँव ;
हरे हरे खेतों में फुला हुआ काश है गाँव ;
पथरीले पर्वतों पर लाल लाल पलाश है गाँव ;
धरती के सारे रंगों की कहानी ;
जीवन के मूल्यों की रवानी है गाँव ;
बड़े बड़े न्यायालयों से आगे चोपाल है गाँव ;
बुजुर्गो की इज्जत और मर्यादा का ख्याल है गाँव ;

हुक्के की गुदगुदाहट में पचपन है गाँव ;
परंपरा और संसकृति का सार है गाँव ;
सबका पालन करता अन्नदाता है गाँव ;
दादी नानी की कहानिया , माँ का दुलार है गाँव ;
गाँधी के सपनो का सार
भगत के विचारो का आधार है गाँव ;
गायों को दुहता ग्वाला ,बंसी बजाता चरवाहा है गाँव ;
जरा से मैले कपड़ो में , मेहनती मजबूत शरीर है गाँव ;
किसान के दिल में फसलो को देखा कर उमड़ता सा प्यार
इश्वर के उपहारों में प्यारा सा उपहार है गाँव ;
जटिल जिंदगी की थकावट के लिए विश्राम है गाँव ;
लाल लाल पर्वतों पर फुला हुआ काश है गाँव .....