dayra

Wednesday 12 October 2011

पल .....Time of consciousness


महसूस करता हु में रात की ठंडी सांसों को,
.........जैसे अब ये कमजोर पड़ने लगी है !
सुनता  हूँ  मै सन्नाटों मै गूंजती आवाजे ;
अब ये बर्फ सी जमने लगी है !




देखता हु............ मै काले बदल को पिघलते हुएं ;
सारी धुन्धलाहत ओस की बूंदों में उतरने लगी है ;
हल्की सी जय ध्वनी आती है..... मेरे कानों तक ;
मेरे कदमो की गति अब बदने लगी है !





जैसे किसी चोटी से मंजिल का नजारा हो ;
...........जैसे स्वर्ग को धरती ने पुकारा हो ;
जैसे उल्लुओ के आगे अँधेरा छाने लगा ;
जैसे  भोर  की राह में पपीहा गाने लगा ;

हर लम्हे की आहत को हर पदचाप को सुन सकता हु मै ,
उसके मिलने की ख़ुशी में....... हर गम भूल सकता हु मै,

लगता है........ जैसे अब पंछी चाह्चाहयेगे ;
जैसे कोमल लतिकाए अंगड़ाई लेने लगी है !


पर अँधेरा अभी छठा भी नहीं है,रास्ता  अभी  कटा  भी  नहीं है !
पूरब  से  आती  हवाए , सूरज का सन्देश लायी है

ठंडी पवन है पर इसने तो मुझने गर्मी जगाई है !

लगता है जैसे सबेरा होने को है........!
सबेरा होने को है....!

28 comments:




  1. लगता है जैसे सवेरा होने को है........!
    सवेरा होने को है....


    आपकी कविता पढ़ कर यह लगता भी है अशोक बिरला जी !
    बहुत ख़ूब !
    …और भी श्रेष्ठ सृजन के लिए मंगलकामनाएं हैं …

    साथ ही
    आपको सपरिवार त्यौंहारों के इस सीजन सहित दीपावली की अग्रिम बधाई-शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  2. its really good... if everyone in this world think like this ... then there are no problem that can not be solved by human .....

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  3. देखता हु............ मै काले बदल को पिघलते हुएं ;
    सारी धुन्धलाहत ओस की बूंदों में उतरने लगी है ;

    Behtareen Likha hai aapne ...

    My Blog: Life is Just a Life
    My Blog: My Clicks
    .

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  4. bilkul savera hoga..
    bahut khub likha bhai,,,
    jai hind jai bharat

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  5. haa yaar tu to kavi ban gaya ab ....................... dekho engg. ke fayde acha khasa admi kya kya ban jata hai

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  6. keep it up ...............my always with u

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  7. aisa lagta hai mano waqt tham sa gaya hai....aur is thame huai waqt main ye moti ki bunde gir rahi hai......

    so beautiful...

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  8. Aapki Kavitaayen padkar yun lagta hai ki aapko apne samne bithaaun aur bas aapko sunta hi chala jaaon.

    Great Work!

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  9. हर लम्हे की आहत को हर पदचाप को सुन सकता हु मै ,
    उसके मिलने की ख़ुशी में....... हर गम भूल सकता हु मै,
    सबसे पहले तो आपसे क्षमा चाहूँगा देर से आने , खूबसरत अहसास को अल्फाज़ दे दिए आपने
    दूसरी बात हु की जगह हूँ कर लें | इसके लिए फिर माफ़ी

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  10. कुछ अलग सा लगा ....
    शुभकामनायें आपको !

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  11. जैसे किसी चोटी से मंजिल का नजारा हो ;
    ...........जैसे स्वर्ग को धरती ने पुकारा हो ;
    जैसे उल्लुओ के आगे अँधेरा छाने लगा ;
    जैसे भोर की राह में पपीहा गाने लगा ;
    bhut hi achchi rachna.

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  12. कोमल एहसास के साथ बहुत ख़ूबसूरत रचना! शानदार प्रस्तुती!

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  13. बहुत ख़ूबसूरत रचना!
    आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को दिवाली की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  14. सार्थक रचना, सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.


    "शुभ दीपावली"
    ==========
    मंगलमय हो शुभ 'ज्योति पर्व ; जीवन पथ हो बाधा विहीन.
    परिजन, प्रियजन का मिले स्नेह, घर आयें नित खुशियाँ नवीन.
    -एस . एन. शुक्ल

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  15. आप सभी प्रबुद्ध व्यक्तियों का स्वागत है ! आपका धन्यवाद की आप इस ब्लॉग पर पधार कर मुझे आशीष रूपी वचनों से लाभान्वित किया !

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  16. लगता है जैसे सबेरा होने को है........!
    सबेरा होने को है....!bhaut hi khubsurat.... panktiya... sundar blog....

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  17. कुछ हट कर है अभिव्यक्ति आपकी. अच्छा लगा.

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  18. gahan bhawon ko jagati......komal kavita.

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  19. पर अँधेरा अभी छठा भी नहीं है,रास्ता अभी कटा भी नहीं है !
    पूरब से आती हवाए , सूरज का सन्देश लायी है


    सकारात्मक सोच लिए हुए अच्छी प्रस्तुति

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  20. आशावादी सोच रखने से जीवन रह सुगम बनी रहती है ..... उत्तम रचना !

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  21. महसूस करता हु में रात की ठंडी सांसों को,
    .........जैसे अब ये कमजोर पड़ने लगी है !
    सुनता हूँ मै सन्नाटों मै गूंजती आवाजे ;
    अब ये बर्फ सी जमने लगी है ....

    शिल्प बहुत अच्छा बुना है आपने
    पर वर्तनी की गलतियां बहुत हैं ...
    पर अगर हाथ में हुनर है तो मंजिल दूर नहीं ....

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  22. जैसे किसी चोटी से मंजिल का नजारा हो ;
    ...........जैसे स्वर्ग को धरती ने पुकारा हो ;
    सुन्दर प्रस्तुति.

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  23. behtreen likha hai...
    jai hind jai bharat

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  24. बहुत उत्कृष्ट अभिव्यक्ति...

    वाह पहली बार पढ़ा आपको बहुत अच्छा लगा.
    आप बहुत अच्छा लिखते है आप और गहरा भी.
    बधाई.

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