भटकते हुए भटकने का रास्ता ढूंढ़ लिया
अब तक भटकते थे बेरास्ते अब रास्तों पर भटकना सिख लिया !!
अब तक भटकते थे बेरास्ते अब रास्तों पर भटकना सिख लिया !!
हर रास्ता अनजान बेखबर मेरी चाल से , मै क्या चलता उसके साथ
उसने मेरे कदमो से कदम मिलाना सिख लिया !!
उसने मेरे कदमो से कदम मिलाना सिख लिया !!
पथरीली राहों में कुछ फूल भी है ;
छालों की तपन में काटों का साथ निभाना सिख लिया !!
छालों की तपन में काटों का साथ निभाना सिख लिया !!
इस संगीत मयी दुनिया में यु तो बेसुरे है हम पर रास्तों का सन्नाटा रास नहीं आया
और गुनगुनाना सिख लिया !!
और गुनगुनाना सिख लिया !!
मुक्केबाज़ी के खेल में जिंदगी बसती है मेरी, हर मुक्का मार कर तो बहुत खुश हुआ
दांत तुड़वाकर मुस्कुराना सिख लिया !!
दांत तुड़वाकर मुस्कुराना सिख लिया !!
अब भी जीता हूँ सपनों के जहान में , कुछ हसिन कुछ खोफनाक है मगर
हर ख्वाब से नजर मिलाना सिख लिया !!
हर ख्वाब से नजर मिलाना सिख लिया !!
उचाईयों को आँखों के निशाने पर रख कर ,
गहराई में डूब कर उभारना सिख लिया !!
गहराई में डूब कर उभारना सिख लिया !!
गुजर गया कारवां , खो गए मुसाफिर समय की पगडण्डी पर ,
तन्हा ही सही खुद का साथ निभाना सिख लिया !!
तन्हा ही सही खुद का साथ निभाना सिख लिया !!
सहारे अक्सर कमजोर बना देते है पथिक को ,
अपनी कमजोरियों का सहारा बन जाना सिख लिया !!
अपनी कमजोरियों का सहारा बन जाना सिख लिया !!
आजादी प्यारी होती है हर परिंदे को आकाश की उचाईयों का सुख पाने को,
कुछ पल गुलाम कहलाना सिख लिया !!
कुछ पल गुलाम कहलाना सिख लिया !!
हार जीत का खेल है जिंदगी की जमी पर हर लम्हे की करवट ,
कभी जीत कर हारना तो कभी हर कर भी जीत जाना सिख लिया !!
कभी जीत कर हारना तो कभी हर कर भी जीत जाना सिख लिया !!
मन की आग बुझाने के साधन है अनगिनत जलाने के शौक ने कलम से अंगारों को दहकाना सिख लिया !!
हर ठोकर को सिख समझना सिख लिया !!
सहारे अक्सर कमजोर बना देते है पथिक को , अपनी कमजोरियों का सहारा बन जाना सिख लिया --
ReplyDeletewaaah kyaa baat hai Ashok
बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,अशोक जी,,,
ReplyDeleteRECENT POST: दीपों का यह पर्व,,,
बहुत सुन्दर बात अशोक जी....
ReplyDeleteबहुत दिनों बाद आपको पढ़ना भला लगा...
अनु
इसे कविता के रूप में लिखते तो अच्छा लगता ....!!
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा लिखा है आपने...
ReplyDeleteअपनी कमजोरियों और गलतियों से इन्सान सीखता है..और जीवन में आगे बढ़ता है..बहुत ही बेहतरीन पोस्ट...
:-)
sundar bhav ko sajoya hai ap ne ...heer ji ki bato se sahmat ho jana hi prabhavshali hoga .
ReplyDeleteअति उत्तम...
ReplyDeleteऔर ज्यादा अच्छा इसलिए लगा है क्योकि बहुत दिनों बाद आपने कुछ लिखा है
जिसका हमको हमेशा इंतज़ार रहता है
प्रिया
बहुत ही बढिया प्रस्तुति।
ReplyDeleteBeautiful and Deep
ReplyDeleteआप जिंदगी की सच्चाई सीख लिए !!
ReplyDeleteशुभकामनायें !!
ये सीखने की आदत बनी रहे...
ReplyDeleteहर ठोकर से इक सीख समझना
ReplyDeleteयारो हमने सीख लिया !!
भाव अच्छे हैं , मगर अशुद्धियाँ ठीक होनी चाहिए !
दिल को छू गई आप की ये लिखावट ..............
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