मैंने अपने आँचल में आग सुलगते देंखी है !
अपने बेटो की लाशों को फंदों पे लटकते देंखी है !
आंदोलनों की आंच में हड्डीया चिट्कते देंखी है !
मै भारत वर्ष हूँ !!
देखा है मैंने अपने ही साये को बटते;
मै भारत वर्ष हूँ !!
देखा है मैंने अपने ही साये को बटते;
अपने बेटों को काटते अपने ही बेटों को कटते देखा है !
हर धर्मं को अपने आँचल ने पाला है मैंने ;
इन्ही धर्मान्धो को मेरी गोद उजाड़ते देखा है !
मै भारतवर्ष हूँ !!
मै भारतवर्ष हूँ !!
मंगल पाण्डेय की ललकार, लक्ष्मीबाई की तलवार को देखा है !
मैंने देखा है खुदीराम का मेरी आन पर मिट जाना;
अशफाक का इमान देखा है !
मै भारतवर्ष हूँ !!
मै भारतवर्ष हूँ !!
लाल किले की ऊँचाइयों पर तिरंगे को फहरते देखा है !
मैंने राजघाट पर किसी अपने को बिखरते देखा है !
मै भारतवर्ष हूँ !!
मै भारतवर्ष हूँ !!
फिर भी जात धर्मो को लड़ते देखा है ....!
संविधान को बनते देखा है !
दबी सहमी आवाज से विरोध का स्वर उभरते देखा है !
याद है, मुझे वो नक्शलवाड़ी का मंजर;फिर से ..
विद्रोह को सुनसान गलियों से गुजरते देखा है !
कुछ नहीं छुपा है मुझसे सफ़ेद कुरते वालो ;
दुधिया सफेदी पर अनदेखे दागों को देखा है !
मै भारतवर्ष हूँ !!
मै भारतवर्ष हूँ !!
गौदमो में भरे आनाज को नेताओ के राज को ;
मेने बच्चो की भूख और भूखो की लाश को देखा है !
मैंने चन्द्रयान को आकाश की ऊंचाई को छुते ;
और ब्रमोश से आकाश को भय खाते देखा है !
तकनिकी में मेरे बच्चो के सामने ;
दुनिया को झुकते देखा है !
मै भारतवर्ष हूँ !!
मै भारतवर्ष हूँ !!
देखा है मेरे बच्चो को मेरी रक्षा में लड़ते हुए ;
उनके ही कोफिनो पर खाई दलाली को देखा है !
देखा है चारा अनाज और चावल खाते हुए ;
बोफोर्स और तकनिकी को चबाते देखा है ....!
मै भारतवर्ष हूँ !
मैंने अर्जुन का बाण ,अशोक का मान
और अकबर का ज्ञान देखा है !
और अकबर का ज्ञान देखा है !
श्री कृष्ण का प्रबंधन चाणक्य का गठबंधन ;
पोरश का संघर्षण देखा है ....!
मै भारतवर्ष हूँ !!
मै भारतवर्ष हूँ !!
मै भारतवर्ष हूँ !!
मान, गुणगान, मायूसी, बेबसी,
ReplyDeleteसबकुछ समाहित है रचना में !
बहुत बेहतरीन रचना !
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!
मै भारतवर्ष हूँ !
ReplyDeleteमैंने अर्जुन का बाण ,अशोक का मान
और अकबर का ज्ञान देखा है !
श्री कृष्ण का प्रबंधन चाणक्य का गठबंधन ;
पोरश का संघर्षण देखा है ....!
मै भारतवर्ष हूँ !!
मै भारतवर्ष हूँ !!
PAHALI BAR APKE BLOG TK PAHUCHA HOON ... VAH KYA KHOOB LIKHA HAI AP NE ...ABHAR KE SATH HI BADHAI;.
Thanx, aap mere blog par aaye apne vicharon se bhi avgat kraya gya.apki rachna behad achhi lagi apne bharat ki kahani uski vedna uaska gorav sbhi kuchh to mahsus kiya .member ban rhi hon . aapka mere blog par sdaev svagat hae .
ReplyDeletekhubsurat rachna..aap mere blog par aaye aapka abhar....
ReplyDeleteसुंदर समर्पित भाव से लिखी बहुत सुंदर रचना,...बेहतरीन पोस्ट
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये,...
नई रचना "काव्यान्जलि":
नही सुरक्षित है अस्मत, घरके अंदर हो या बाहर
अब फ़रियाद करे किससे,अपनों को भक्षक पाकर,
आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ! दिल को छू गई हर एक पंक्तियाँ !
बहुत ही सार्थक व सटीक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteकल 04/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, 2011 बीता नहीं है ... !
धन्यवाद!
काली रात को गुजरते सुबह को सवारते देखा है !
ReplyDeleteमैंने चन्द्रयान को आकाश की ऊंचाई को छुते ;
तकनिकी में मेरे बच्चो के सामने ;
दुनिया को झुकते देखा है ! this are somuch appreciating lines... i liked it whole...... and proud to be an indian
राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव से प्रेरित हो
ReplyDeletekahe गए विचार
प्रभावशाली हैं
देस के नाम कुछ खूबसूरत पंग्तियाँ
ReplyDeleteहे भारत वर्ष
ReplyDeleteसब कुछ देखा तो यह भी देखो
देखो कैसे अपने ही आज लूट रहे
कैसे आतंकी धर्मभेष में छूट रहे
कैसे गांधी की टोपी आज लुटेरों के सर पर भी है।
कैसे मजाक उड़ता अनेक प्रजातंत्र का युवराज
जनता जर्नादन के घर पर भी है।
देखो आज कैसे हाकीम की नहीं है चलती।
देखो आज की कैसे रक्षक ही अस्मत को मलती।
हे भारती देखो तुम कैसे आज अन्नदाता है
पेट पकड़ कर सो जाते।
और कहीं पिज्जा खा खा कर कारोबारी नहीं अधाते।
बहुत अच्छे...
ReplyDeleteअब जो थोडा बहुत अच्छा है भारतवर्ष में,उस पर भी ज़रूर लिखिए..
घबराहट सी हुई इस सटीक रचना को पढ़ कर.
सादर.
सामयिक रचना...
ReplyDeleteआपकी रचना ने मुझे रोमांचित कर दिया .. रेशे रेशे में आग है
ReplyDeleteभारत वर्ष की कहानी - भारतवर्ष की जुबानी... सचमुच अभिभूत कर गयी यह रचना!!
ReplyDeleteAapne bharat ka varnan bahut gahrai se kia hai..
ReplyDeletebeautiful thoughtful poem
ReplyDeleteनववर्ष की शुभकामनाएँ
दिल में उतर गई आपकी रचना...
ReplyDeleteनया साल मुबारक हो ...
very touching poem its a gr8 work dat u have done
ReplyDeleteबेहतरीन रचना !
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत अच्छी प्रस्तुति,भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति ......
ReplyDeleteWELCOME to--जिन्दगीं--
मैंने अर्जुन का बाण ,अशोक का मान
ReplyDeleteऔर अकबर का ज्ञान देखा है !bahut achcha.
नव वर्ष पर सार्थक रचना
ReplyDeleteआप को भी सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
शुभकामनओं के साथ
संजय भास्कर
वतन पे मिटने वालो को देखा है ..... मै भारत वर्ष हूँ
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